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Big decision of the central government: कक्षा 5 और 8 के लिए नो-डिटेंशन नीति समाप्त!

नो-डिटेंशन नीति को 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के अनुभाग 16 के अंतर्गत लागू किया गया था। इसके अंतर्गत यह अनिवार्य था कि कक्षा 1 से 8 तक किसी भी …

नो-डिटेंशन नीति को 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education Act) के अनुभाग 16 के अंतर्गत लागू किया गया था। इसके अंतर्गत यह अनिवार्य था कि कक्षा 1 से 8 तक किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जाएगा।

इस नीति का उद्देश्य स्कूल ड्रॉपआउट दर को कम करना और शिक्षा को डर-मुक्त बनाना था। अधिक जानकारी के लिए शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर जाएं।

सारांश (Overview)

बिंदुविवरण
नीति का नामनो-डिटेंशन नीति (No Detention Policy)
शुरुआत कब हुई2009, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत
मुख्य उद्देश्यछात्रों को कक्षा 1 से 8 तक बिना फेल किए आगे बढ़ाना
नई स्थितिअब कक्षा 5 और 8 में फेल होने पर छात्रों को रोका जा सकता है
प्रभावित स्कूलकेंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, आदि (3000+ स्कूल)
राहत उपायसप्लीमेंटरी परीक्षा और अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता
नीति की समीक्षाराष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने हेतु

नीति को क्यों हटाया गया?

वर्षों के दौरान कई शिक्षाविदों और शिक्षकों ने शिकायत की कि इस नीति के कारण छात्रों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता कम हो गई। कई विद्यार्थी बिना न्यूनतम ज्ञान के अगली कक्षा में चले जाते थे, जिससे गणित और भाषा जैसे विषयों में उनकी नींव कमजोर हो रही थी।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “स्वचालित प्रमोशन से छात्रों की जिम्मेदारी और अनुशासन में गिरावट आई। इस बदलाव से सीखने के स्तर में सुधार की उम्मीद है।”

यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप है, जिसमें कौशल आधारित शिक्षा और मूल्यांकन पर ज़ोर दिया गया है। NEP 2020 आधिकारिक पोर्टल पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध है।

नई नीति के तहत क्या होगा?

अब केंद्रीय विद्यालयों और अन्य केंद्र शासित स्कूलों में कक्षा 5 और 8 के छात्र अगर वार्षिक परीक्षा में असफल होते हैं, तो उन्हें रोका जा सकता है।

हालाँकि, छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर, और अतिरिक्त शिक्षण सहायता प्रदान की जाएगी। यदि वे दूसरी बार भी असफल होते हैं, तो उन्हें उसी कक्षा में रोका जा सकता है।

यह बदलाव फिलहाल केंद्रीय स्कूलों में लागू होगा, लेकिन राज्य चाहें तो इसे भी अपना सकते हैं। 2019 में किए गए संशोधन के बाद राज्यों को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी गई थी। आप 2019 का संशोधन यहां पढ़ सकते हैं

कितने राज्यों ने पहले ही नीति हटा दी थी?

केंद्र सरकार के इस फैसले से पहले ही 18 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नो-डिटेंशन नीति को समाप्त कर चुके थे। इससे यह स्पष्ट है कि नीति को लेकर पहले से ही पुनर्विचार जारी था।

विशेषज्ञों की राय

शिक्षा विशेषज्ञों ने इस बदलाव का संयमित स्वागत किया है। एनयूईपीए के पूर्व कुलपति प्रो. आर. गोविंदा ने कहा, “इस नीति का उद्देश्य अच्छा था, लेकिन बिना सहायक व्यवस्था के यह असरकारी नहीं हो पाया।”

वहीं बाल अधिकार कार्यकर्ता सतर्क करते हैं कि छात्रों पर फिर से सिर्फ परीक्षा का दबाव न डाला जाए। स्वाति नारायण, एक दिल्ली स्थित शिक्षा शोधकर्ता ने कहा, “अब ज़रूरत है कि कमजोर छात्रों को अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता दी जाए, न कि केवल उन्हें फेल कर दिया जाए।”

छात्रों के लिए क्या बदल रहा है?

अब छात्रों को पढ़ाई में प्रदर्शन दिखाना जरूरी होगा। लेकिन इसके साथ ही सरकार ने स्कूलों को ब्रिज कोर्स, अतिरिक्त कक्षाएं, और सपोर्ट सिस्टम तैयार करने को कहा है ताकि कोई भी छात्र पीछे न छूटे।

स्कूलों की प्रतिक्रिया

स्कूलों ने इस कदम का स्वागत किया है। दिल्ली के एक केंद्रीय विद्यालय के प्रधानाचार्य ने कहा, “पहले बच्चे पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते थे क्योंकि उन्हें पता था कि वे पास हो ही जाएंगे। अब उनके व्यवहार में बदलाव आने की उम्मीद है।”

हालाँकि कुछ स्कूलों ने चिंता जताई है कि अतिरिक्त कक्षाएं, पुनः परीक्षा, और शिक्षकों पर बढ़ता दबाव एक चुनौती बन सकते हैं।

आगे की राह

इस बदलाव को सफल बनाने के लिए इन बातों पर ज़ोर देना ज़रूरी है:

  • शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण
  • नियमित मूल्यांकन
  • छात्रों के लिए काउंसलिंग
  • इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार

शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वह इस प्रक्रिया की निगरानी करेगा और स्कूलों को आवश्यक संसाधन प्रदान करेगा। अधिक जानकारी के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग पर जाएं।

निष्कर्ष

कक्षा 5 और 8 के लिए नो-डिटेंशन नीति की समाप्ति भारत की शिक्षा प्रणाली में एक निर्णायक मोड़ है। यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम हो सकता है, बशर्ते इसके साथ सहयोगात्मक तंत्र और समर्थन भी मिले।

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