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Haryana Municipal Corporation Elections 2025: बीजेपी की बड़ी जीत, कांग्रेस को बड़ा झटका

हरियाणा नगर निगम चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 10 में से 9 नगर निगमों में मेयर पद पर जीत दर्ज की। यह नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए एक …

हरियाणा नगर निगम चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 10 में से 9 नगर निगमों में मेयर पद पर जीत दर्ज की। यह नतीजे कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हुए, जो शहरी इलाकों में प्रभाव छोड़ने में नाकाम रही।

बीजेपी की प्रचंड जीत

12 मार्च 2025 को हुए इन चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली, लेकिन नतीजे पूरी तरह से बीजेपी के पक्ष में रहे। गुरुग्राम, रोहतक, फरीदाबाद और पानीपत जैसे बड़े शहरों में बीजेपी की जीत ने पार्टी के मजबूत शहरी पकड़ को फिर से साबित किया।

बीजेपी ने निम्नलिखित नगर निगमों में जीत दर्ज की:

  • गुरुग्राम – बीजेपी की राज रानी मल्होत्रा ने कांग्रेस की सीमा पाहूजा को हराया।
  • पानीपत – बीजेपी ने करीबी मुकाबले में जीत दर्ज की।
  • हिसार – बीजेपी ने यहां भी बड़ी जीत हासिल की।
  • रोहतक – बीजेपी के राम अवतार वाल्मीकि ने कांग्रेस के सुरजमल किलोई को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह सीट कांग्रेस के गढ़ मानी जाती थी।
  • फरीदाबाद – बीजेपी की प्रवीण बत्रा जोशी ने मेयर पद पर कब्जा किया।
  • अंबाला – बीजेपी की शैलजा सचदेवा ने कांग्रेस की अमीषा चौला को 20,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया।
  • करनाल – बीजेपी की रेणु बाला गुप्ता ने जीत दर्ज की।
  • यमुनानगर – बीजेपी के प्रत्याशी ने आसानी से जीत हासिल की।
  • सोनीपत – बीजेपी के राजीव जैन ने कांग्रेस को मात दी।

मनसेर (Manesar) में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत:
बीजेपी की एकमात्र हार मनसेर नगर निगम में हुई, जहां निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंदरजीत यादव ने बीजेपी के सुंदर लाल को हराया।

Haryana Municipal Corporation Elections 2025

कांग्रेस के लिए बड़ा झटका

हरियाणा में इस चुनाव में कांग्रेस को एक भी नगर निगम में जीत नहीं मिली, जिससे पार्टी के लिए यह चुनाव निराशाजनक साबित हुआ। रोहतक में हार कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका थी, क्योंकि यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ माना जाता था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस शहरी मतदाताओं को लुभाने में विफल रही और पार्टी की स्थानीय मुद्दों पर कमजोर पकड़ उसकी हार की प्रमुख वजह रही। कांग्रेस नेताओं ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि वे अब नई रणनीति पर काम करेंगे।

निर्दलीय उम्मीदवार और मतदान प्रतिशत

हालांकि यह चुनाव मुख्य रूप से बीजेपी और कांग्रेस के बीच था, लेकिन मनसेर में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंदरजीत यादव की जीत से यह स्पष्ट हुआ कि स्थानीय मुद्दों और प्रभावशाली स्थानीय नेताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

इस चुनाव में कुल मतदान 46% रहा, जो औसतन पिछले चुनावों की तरह ही था। शहरी मतदाता स्थानीय प्रशासन में लगातार रुचि दिखा रहे हैं।

मुख्य बातें और राजनीतिक असर

  1. बीजेपी को शहरी मतदाताओं का समर्थन: पार्टी का मजबूत संगठन, प्रभावी प्रचार और राज्य सरकार के कार्यों का असर इस जीत में दिखा।
  2. कांग्रेस की कमजोर पकड़: कांग्रेस अपने पारंपरिक गढ़ों में भी हार गई, जो पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
  3. कुछ जगह निर्दलीय उम्मीदवारों की सफलता: मनसेर में निर्दलीय की जीत से संकेत मिलता है कि जनता विकल्प तलाश रही है।
  4. आगामी विधानसभा चुनावों पर प्रभाव: नगर निगम चुनावों के ये नतीजे आगामी हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
Haryana Municipal Corporation Elections 2025

चुनाव आयोग और सरकारी भूमिका

हरियाणा राज्य चुनाव आयोग (SEC Haryana) ने सुनिश्चित किया कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो। ईवीएम (EVM) का उपयोग किया गया और सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही। हरियाणा सरकार (Haryana.gov.in) ने सभी मतदान केंद्रों पर कानून-व्यवस्था बनाए रखी।

आगे की राह?

बीजेपी की इस जीत के बाद, अब सभी की निगाहें नगर निगमों के कामकाज पर होंगी। नवनिर्वाचित मेयरों को ट्रैफिक समस्या, कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति, और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से निपटना होगा।

वहीं, कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले शहरी मतदाताओं को फिर से जोड़ने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

निष्कर्ष

हरियाणा नगर निगम चुनाव 2025 के नतीजों ने यह स्पष्ट कर दिया कि शहरी मतदाता बीजेपी के पक्ष में हैं। कांग्रेस को खुद को फिर से मजबूत करने की जरूरत होगी, जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत से संकेत मिलता है कि स्थानीय नेता भी बड़ी पार्टियों को चुनौती दे सकते हैं।

अब देखना यह होगा कि नगर निगमों के नवनिर्वाचित मेयर जनता की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं।

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