जो कभी खुदरा निवेशकों के बीच काफी लोकप्रिय था और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा व इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र में उभरता सितारा माना जा रहा था, ने हाल ही में निवेशकों को चौंका दिया है। कंपनी के शेयरों में पिछले 10 ट्रेडिंग दिनों में 54% की भारी गिरावट दर्ज की गई है, और 52 सप्ताह के उच्च स्तर से 90% से अधिक की गिरावट हो चुकी है। इस गिरावट के पीछे वित्तीय अनियमितताएँ, नियामकीय कार्रवाइयाँ और कमजोर कॉर्पोरेट गवर्नेंस के गंभीर आरोप हैं।
अचानक आई गिरावट
कभी ₹1,100 से ऊपर ट्रेड करने वाला Gensol का शेयर अब ₹110 के आसपास आ गया है। यह गिरावट तब शुरू हुई जब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एक जांच रिपोर्ट में बताया कि कंपनी ने EV खरीद के लिए मिले कर्ज का गलत इस्तेमाल किया।
SEBI की जांच में फंड डायवर्जन का खुलासा
SEBI ने अपनी जांच में पाया कि Gensol ने करीब ₹977 करोड़ का गलत इस्तेमाल किया, जो EV खरीद के लिए कर्ज के रूप में प्राप्त हुआ था। इस राशि का उपयोग व्यवसाय में निवेश करने के बजाय, कंपनी के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने व्यक्तिगत खर्चों जैसे कि लक्जरी अपार्टमेंट खरीदने और क्रेडिट कार्ड बिल चुकाने में किया।
जांच में यह भी सामने आया कि Gensol ने IREDA (Indian Renewable Energy Development Agency) और PFC (Power Finance Corporation) जैसी सरकारी संस्थाओं से फर्जी No Objection Certificates (NOCs) प्रस्तुत किए।
SEBI के आदेश और रिपोर्ट SEBI की वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं।
नियामकीय कार्रवाई
SEBI ने कंपनी और उसके प्रमोटरों पर सख्त कार्रवाई की है:
- प्रमोटरों को किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में डायरेक्टर या प्रमुख प्रबंधन पद पर रहने से प्रतिबंधित किया गया है।
- Gensol द्वारा प्रस्तावित 1:10 स्टॉक स्प्लिट को निलंबित कर दिया गया है।
- कंपनी के खातों और संचालन की फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दिया गया है।
EV फैक्ट्री पर उठे सवाल
Gensol की पुणे स्थित EV मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री, जिसे कंपनी ने अपने भविष्य का केंद्र बताया था, जांच में संदिग्ध पाई गई। फैक्ट्री में:
- बहुत कम कर्मचारी पाए गए
- बिजली की खपत लगभग नगण्य थी
- उत्पादन गतिविधियाँ नहीं हो रही थीं
कंपनी के दावों के विपरीत, यह फैक्ट्री लगभग निष्क्रिय पाई गई, जिससे कंपनी के पूरे बिजनेस मॉडल पर सवाल खड़े हो गए।

Mahadev ऐप घोटाले से भी जुड़ सकता है मामला
मामला और गंभीर तब हुआ जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने Gensol की भूमिका की जांच शुरू की। संदेह है कि कंपनी में विदेशी निवेशकों के माध्यम से काले धन का निवेश हुआ है, जो Mahadev ऑनलाइन बेटिंग ऐप घोटाले से जुड़ा है।
ED ने 5 लाख से अधिक ऐसे शेयर फ्रीज़ कर दिए हैं जो दुबई स्थित हवाला ऑपरेटर से जुड़े निवेशकों के पास थे। अगर पुख्ता सबूत मिले तो कंपनी पर धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।
कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल
कंपनी के आंतरिक मामलों को लेकर भी कई चिंताएँ सामने आई हैं:
- CFO अंकित जैन ने SEBI के आदेश से ठीक पहले इस्तीफा दे दिया।
- प्रमोटरों के 81% से अधिक शेयर गिरवी रखे गए हैं।
- बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी से स्पष्ट है कि आंतरिक निगरानी की व्यवस्था कमजोर थी।
निवेशकों को तगड़ा झटका
Gensol की गिरावट का सबसे बड़ा असर खुदरा निवेशकों पर पड़ा है। राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के अनुसार:
- 90 लाख से अधिक निवेशक इस शेयर में फंसे हुए हैं।
- शेयर बार-बार लोअर सर्किट में जा रहा है।
- कई ब्रोकरेज फर्मों ने शेयर को “अंडर रिव्यू” या “बचें” की श्रेणी में रखा है।
प्रस्तावित स्टॉक स्प्लिट भी अब अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है।
कंपनी की सफाई
Gensol का कहना है कि यह स्थिति बड़े प्रोजेक्ट्स की नकदी प्रवाह में असंतुलन के कारण उत्पन्न हुई है, और यह जानबूझकर की गई धोखाधड़ी नहीं है। कंपनी ने एक स्वतंत्र जांच की घोषणा की है और नियामकों के साथ सहयोग का आश्वासन दिया है।
कंपनी ने बयान में कहा, “हम विश्वास दिलाते हैं कि सच्चाई सामने आएगी। हम गवर्नेंस को मजबूत करने और निवेशकों का भरोसा दोबारा जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
आगे क्या?
SEBI की ऑडिट और ED की जांच अभी चल रही है। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी को प्रबंधन और संचालन में पूरी तरह से सुधार करना होगा, तभी वह संकट से बाहर आ पाएगी।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे SEBI, ED और NSE की आधिकारिक वेबसाइट्स पर लगातार अपडेट चेक करते रहें।
निष्कर्ष
Gensol की गिरावट इस बात की चेतावनी है कि निवेश से पहले कंपनी की पारदर्शिता, कॉर्पोरेट गवर्नेंस और नियामकीय स्थिति की पूरी जांच ज़रूरी है। जब भारत जैसे देश में हरित ऊर्जा और EV सेक्टर को प्रोत्साहन मिल रहा हो, तब इस तरह की घटनाएँ पूरे सेक्टर की छवि को धूमिल कर सकती हैं।
Gensol की कहानी अभी खत्म नहीं हुई है, लेकिन उसकी साख को जो आघात लगा है, वह शायद वर्षों तक नहीं भरेगा।

Pankaj Kumar is a journalist at Chandigarh X, covering admit cards, recruitment, and government schemes. His articles provide readers with detailed insights into application processes, eligibility, and exam updates.
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